हमारा सौरमंडल (our solar system)

हमारा सौरमंडल (our solar system)

सुर्य के चारो ओर परवलायाकार मार्ग के सहारे सुर्य की परिक्रमा करने वाले भिन्न-भिन्न,  ग्रहो, उपग्रहों, क्षुद्रग्रहो, तारों, पुच्छल तारों तथा उल्काओं आदि के सम्मलित समुह  को सौरमंण्ल कहते है।

आकार के अनुसार ग्रहों का अवरोही(घटता ) क्रम 


वृहस्पति <  शनि <  अरूण <  वरूण <  पृथ्वी <  शुक्र <  मंगल <  बुध्द.

सुर्य से दुरी के अनुसार ग्रहों का अवरोही (घटता ) क्रम


बुध्द <  शुक्र <  पृथ्वी <  मंगल <  बृहस्पति <  शनि  < अरूण <  वरूण 

आंतरिक ग्रह अथवा पार्थिक ग्रह 


बुध्द ,  शुक्र ,  पृथ्वी ,  मंगल 

बाह्य ग्रह अथवा गैसिय ग्रह 


बृहस्पति ,  शनि ,  अरूण   तथा वरूण




our solar system in hindi

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Note- 

  •  मंगल तथा बृहस्पति की कक्षाओं के मध्य मे चट्टानों के टूटे फूटे टुकङे पाये जाते हैं जो सुर्य के चारो तरफ परवलयकार मार्ग पर चक्कर लगाते हैं जिन्हे क्षद्रग्रह कहते हैं । 
  • वरुण की कक्षा के उस पार हाइड्रोजन तथा हीलियम गैस से निर्मित बर्फ की एक पेटी पाई जाती है जिसे काइपर बेल्ट कहते  है। 
  • हमारा सौरमण्डल आकाशीय पिंडों का एक झुण्ड है जिसके केन्द्र मे सुर्य है तथा अन्य सभी ग्रह, उपग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्काए आदि सुर्य के चारो ओर परवलयाकार मार्ग पर चक्कर लगाते रहते है ।
  • सुर्य भी एक प्रकार का तारा है तथा यह पृथ्वी के सबसे नजदीक का तारा है । 

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ग्रह  


वे आकाशीय पिण्ड ग्रह कहलाते है जो दी गई निम्न शर्तो का पालन करे

  1.  वे आकाशीय पिण्ड जो सुर्य के चारो तरफ अपनी कक्षा मे परिक्रमा करते हो 
  2. उनका आकार लगभग गोल हो 
  3. तथा वे किसी दुसरे की कक्षा को न काटता हो 

Note-  

सन 2006 से पहले हमारे सौरमण्डल मे ग्रहों की कुल संख्या 9 थी किंतु प्लूटो सुर्य के चारो तरफ परिक्रमा करते हुए वरूण की कक्षाओ को काटता है इस आधार पर 2006 ई मे इसे ग्रहो की श्रेणी से बाहर कर दिया गया और इसे बौना ग्रह या वामन ग्रह का नाम दिया गया इस प्रकार वर्तमान समय मे हमारे सौर मण्डल मे ग्रहो की कुल संख्या 8 हो गई । 
ग्रहो के पास अपना प्रकाश तथा अपनी ऊर्जा नही होती ये सुर्य के प्रकाश से प्रकाशित होते है ।

बुध्द ग्रह

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