संवहनीय वर्षा
सुर्य की ऊर्जा जब पृथ्वी से टकराती है तो सतह गर्म हो जाती है तथा सतह के पास की हवाए भी गर्म हो जाती है जलाशयों मे जल वाष्प की प्रक्रिया होती है हवाए नमी धारण कर लती है ।(वर्षा के प्रकार varsha kitne prakar ki hoti hai?) ये हवाए ऊपर उठती है तथा ठण्डी हो जाती है जिससे सघंनन की प्रक्रिया शुरु हो जाती है । और मूसलाधार वर्षा शुरु हो जाती है । इस तरह से होने वाली वर्षा को संवाहनीय वर्षा कहते है । प्राय इस प्रकार की वर्षा अमेजन तथा कांगो नदी के बेसिन मे होती है ।
पर्वतीय वर्षा
जब हवाए समुद्र के उपर से प्रवाहित होती है तो अपने साथ ये नमी लेकर चलती है तथा स्थलमण्डल मे जब ये किसी पर्वत से टकराती है तो ये पर्वत के सहारे उपर उठने लगती हैं और ठण्डी होकर यह वर्षा कर देती हैं ।
इस प्रकार से होने वाली वर्षा को पर्वतीय वर्षा कहते हैं । संसार मे इस प्रकार की वर्षा सबसे अधिक होती हैं।
चक्रवर्तीय वर्षा (varsha kitne prakar ki hoti hai?)
चक्रवातो द्वारा होने वाली वर्षा को चक्रवातीय वर्षा या वाताग्री वर्षा कहते हैं । चक्रवातीय वर्षा को विभ्भिन देशों मे अलग अलग नाम से जाना जाता है जैसे
टाइफून - चीन , जापान , तथा चीन सागार
बगिज - फिलीपीन्स
विली विली - आस्ट्रेलिया
हेरिकेन - कैरिबियन सागर , वेस्ट इण्डीज , यू एस ए का पूर्वी भाग
टारनैडो - यू एस ए का मैदान
उष्ण घास के मैदान
सवाना - अफ्रीका
लानोस - कोलम्बिया, वेनेजुएला
कैम्पोस - ब्राजील
शीतोष्ण घास के मैदान
स्टेपीज - यूरेशिया
प्रेयरी - यू एस ए , कनाडा
पम्पास - अर्जेनटीना
वेल्डस - दक्षिण अफ्रीका
पुस्टाज - हंगरी
डाउन्स - आस्ट्रेलिया
विश्व के जलवायु प्रदेश
विषुवतीय जलवायु प्रदेश
इस प्रदेश का विस्तार विषुवत रेखा के 5 या 10 अक्षांश उत्तर तथा 5 या 10 अक्षांश दक्षिण मे पाया जाता है । इन प्रदेशो मे वर्ष भर सुर्य की रोशनी लम्बवत पङती है जिसके कारण यहाँ वर्ष भर गर्मी पङती रहती है । इन प्रदेशो मे दोपहर के 2 बजे के बाद संवाहनीय प्रकार की वर्षा होती है जिसके कारण यह प्रदेश उष्ण कटिबंधीय सदाबहार के घने जंगलो से ढका रहता है । सदाबहार वन होने के कारण यहाँ पर जैव विविधता सर्वाधिक पायी जाती है।
मानसुनी जलवायु प्रदेश
इस प्रकार के जलवायु प्रदेशो मे मानसुनी हवाँये चलती रहती है । यहाँ ग्रीष्म काल मे वर्षा होती है । इन वनो मे पर्णपाती वन पाये जाते है। तथा इस प्रकार के वनो का विस्तार मुख्यता दक्षिण पुर्वी एशियाई देशो मे फैला है ।
टैगा प्रदेश
इस प्रदेश का विस्तार मुख्यता 50 अंश से लेकर 65 अंश अक्षांशो के मध्य उत्तरी तथा दक्षिणी दोनो गोलाध्दो के मध्य पाया जाता है इन प्रदेशो मे साल भर सर्दी पङती है । तथा शीत रितु मे हिमपात होता है और पृथ्वी की सतह बर्फ से ढक जाती है इन प्रदेशो मे शंकुधारी या कोणधारी वन पाये जाते है ।
टुण्ड्रा प्रदेश
इन प्रदेशो का विस्तार 65 अंश उत्तरी अक्षांश से लेकर उत्तरी ध्रुव तक पाया जाता है । इन प्रदेशो मे वर्ष भर सर्दी पङती रहती है तथा यहां पर वर्ष भऱ बर्फ पङती रहती है । इन प्रदेशो मे एस्किमो जनजाति निवास करती है ये लोग बर्फ के घर बनाते हैं जिसे इग्लु कहते है।
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